उत्तराखंड बेरोजगार संघ का आंदोलन: पेपर लीक कांड के बीच साजिश का खुलासा, आंदोलन से किसको हो रही दिक्कत?

देहरादून: उत्तराखंड में पेपर लीक कांड को लेकर बेरोजगार युवाओं का आंदोलन थमने का नाम नहीं ले रहा है। देहरादून के परेड ग्राउंड के बाहर सड़कों पर धरना दे रहे उत्तराखंड बेरोजगार संघ और उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा के युवाओं ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मंगलवार को बेरोजगार संघ के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर अपनी मांगें रखीं, लेकिन देर रात एक ऐसी घटना सामने आई, जिसने भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री को कटघरे में खड़ा कर दिया।
बेरोजगार संघ के अनुसार, बेरोजगारों के आंदोलन को कमजोर करने की साजिश के तहत हरिद्वार से बसों में भरकर विभिन्न स्थानों के बच्चों को एकता विहार धरना स्थल पर लाया गया। इन बच्चों को सरकार से परीक्षा परिणाम जारी करने की मांग के लिए नारेबाजी करने को कहा गया। जैसे ही उत्तराखंड बेरोजगार संघ और स्वाभिमान मोर्चा को इसकी भनक लगी, उनकी टीम तुरंत एकता विहार पहुंची। वहां पहुंचते ही कुछ अज्ञात संगठनों की ड्रेस में आए बच्चे भाग खड़े हुए। बेरोजगार युवाओं ने उनका पीछा किया और ऋषिकेश तक पहुंच गए।
जब पत्रकारों ने बसों में सवार बच्चों से सवाल किए, तो उन्होंने एक सनसनीखेज खुलासा किया। बच्चों ने बताया कि उन्हें यह नहीं बताया गया था कि उन्हें करना क्या है। उन्हें बसों में भरकर देहरादून लाया गया और नारेबाजी करने के लिए कहा गया। हैरानी की बात यह है कि इनमें से किसी भी बच्चे ने स्थानीय स्तर की परीक्षा में हिस्सा नहीं लिया था।
इस घटना ने पेपर लीक कांड में धांधली की गंभीरता को और उजागर कर दिया है। बेरोजगार संघ ने इसे सरकार की साजिश करार देते हुए कहा कि यह आंदोलन को तोड़ने और जनता को गुमराह करने की कोशिश है। संघ ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों को सजा दी जाए।
उत्तराखंड बेरोजगार संघ के इस आंदोलन ने न केवल पेपर लीक कांड को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि युवाओं के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को भी उजागर किया है। इस घटना के बाद आंदोलन और तेज होने की संभावना है।