उत्तराखंड : बेटे ने गिफ्ट डीड में हड़पी संपत्ति, DM ने तीन दिन में करवाई वापसी,

देहरादून : देहरादून में एक प्रेरणादायक और त्वरित न्याय का उदाहरण सामने आया है, जहां एक पीड़ित बुजुर्ग दंपति को उनके बेटे द्वारा हड़पी गई संपत्ति तीन दिन के भीतर वापस दिला दी गई। जिलाधिकारी सविन बंसल ने भरणपोषण अधिनियम, 2007 की विशेष शक्तियों का प्रयोग करते हुए 3080 वर्गफीट की संपत्ति की गिफ्ट डीड रद्द करते हुए उसे फिर से बुजुर्ग दंपति के नाम दर्ज करने का आदेश जारी किया।
इस मामले में सरदार परमजीत सिंह और उनकी पत्नी अमरजीत कौर ने अपनी संपत्ति, जिसमें दो बड़े हॉल शामिल हैं, अपने बेटे गुरविंदर सिंह के नाम गिफ्ट डीड के जरिए स्थानांतरित की थी, शर्तों के साथ कि बेटा उनका भरण-पोषण करेगा, उन्हें साथ रखेगा और पोते-पोती से मिलने से वंचित नहीं करेगा। लेकिन संपत्ति अपने नाम होते ही बेटे ने सभी शर्तों का उल्लंघन किया। बुजुर्ग माता-पिता को घर से निकाल दिया गया और पोते-पोती से मिलने तक की अनुमति नहीं दी गई।
तहसील, थाना और निचली अदालतों से निराश होकर, जब बुजुर्ग दंपति ने जिलाधिकारी न्यायालय में दस्तक दी, तो डीएम बंसल ने पहली ही सुनवाई में मामला संज्ञान में लेते हुए त्वरित निर्णय दिया। विपक्षी को नोटिस और सार्वजनिक सूचना के बावजूद उपस्थित न होने और आपत्ति दर्ज न कराने पर, डीएम ने गिफ्ट डीड को शून्य घोषित कर संपत्ति को फिर से बुजुर्ग दंपति के नाम करने का आदेश पारित किया। रजिस्ट्री कार्यालय ने डीएम के आदेश के अनुरूप कार्रवाई कर संपत्ति के कागजात में संशोधन भी पूरा कर लिया है। आदेश सुनाए जाने के बाद डीएम न्यायालय में ही बुजुर्ग दंपति की आंखों से आंसू छलक पड़े, जिन्होंने वर्षों की लड़ाई के बाद पहली बार न्याय महसूस किया।
डीएम सविन बंसल का यह निर्णय ना केवल मानवता की मिसाल है बल्कि समाज के उन लोगों के लिए संदेश है जो अपने कर्तव्यों से विमुख होकर माता-पिता के प्रति तिरस्कारपूर्ण रवैया अपनाते हैं। जिला प्रशासन की यह सक्रियता और कर्तव्यनिष्ठा समाज के असहाय, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों के लिए भरोसे का प्रतीक बनती जा रही है। जिला प्रशासन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बुजुर्गों की उपेक्षा और शोषण करने वालों के खिलाफ कानून पूरी सख्ती से लागू किया जाएगा।