नवरात्रि का पहला दिन आज, मां शैलपुत्री की होगी पूजा, कलश स्थापना के लिए ये है शुभ मुहूर्त

लव कपूर (फाउंडर प्रेसीडेंट/सी ई ओ/एडिटर इन चीफ) 

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नवरात्रि का पहला दिन आज, मां शैलपुत्री की होगी पूजा, कलश स्थापना के लिए ये है शुभ मुहूर्त

इस बार नवरात्रि पर बहुत ही शुभ संयोग बन रहा है। 15 अक्तूबर रविवार को चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निषेध मानते हुये कलश स्थापना मध्यान्ह अभिजीत मुहुर्त में किया जायेगा। नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के साथ ही नवरात्रि शुरू हो जाती हैं। साथ ही विभिन्न पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर मां शक्ति की आराधना की जाती है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। हर वर्ष नवरात्रि में देवी दुर्गा का आगमन अलग-अलग वाहनों में सवार होकर आती हैं और उसका अलग-अलग महत्व होता है।

कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त

आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी कि 15 अक्तूबर के दिन कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का समय 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक है। दूसरा मुहूर्त कलश स्थापना के लिए अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।

नवरात्रि घटस्थापना पूजा सामग्री-

चौड़े मुंह वाला मिट्टी का एक बर्तन कलश

सप्तधान्य (7 प्रकार के अनाज)
पवित्र स्थान की मिट्टी
गंगाजल

कलावा/मौली

आम या अशोक के पत्ते
छिलके/जटा वाला

नारियल

सुपारी अक्षत (कच्चा साबुत चावल), पुष्प और पुष्पमाला
लाल कपड़ा

मिठाई

सिंदूर

दूर्वा

शारदीय नवरात्रि पूजन विधि

पूजा की सामग्री एकत्रित कर शारदीय नवरात्रि को स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद एक चौकी पर गंगाजल छिड़क कर शुद्ध करके उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और कलश की स्थापना करें। कलश की स्थापना करने के बाद मां दुर्गा को लाल वस्त्र, लाल फूल, लाल फूलों की माला और श्रृंगार आदि की वस्तुएं अर्पित करें और धूप व दीप जलाएं। यह सभी वस्तुएं अर्पित करने के बाद गोबर के उपले से अज्ञारी करें। जिसमें घी, लौंग, बताशे, कपूर आदि चीजों की आहूति दें। इसके बाद नवरात्रि की कथा पढ़ें और मां दुर्गा की धूप व दीप से आरती उतारें और उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं।

 

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