कैंपा को लेकर CAG रिपोर्ट के खुलासे पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, उत्तराखंड सरकार से मांगा जवाब

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार से प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (CAMPA-कैंपा) के धन के कथित दुरुपयोग पर स्पष्टीकरण मांगा है। शीर्ष अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि वे बताएँ कि हरित आवरण बढ़ाने के लिए निर्धारित इस निधि का उपयोग अयोग्य कार्यों, जैसे कि आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज, कूलर और भवन नवीनीकरण जैसी गतिविधियों में क्यों किया गया।

CAG रिपोर्ट का कोर्ट ने लिया संज्ञान

दरअसल, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में यह सामने आया कि उत्तराखंड वन प्राधिकरण ने CAMPA निधियों का उपयोग अनधिकृत कार्यों के लिए किया। जब यह मामला न्याय मित्र के. परमेश्वर ने अदालत के संज्ञान में लाया, तो जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने इसे गंभीरता से लिया और राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई।

निधि का इस तरह उपयोग नहीं हो सकता

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि CAMPA निधि का मुख्य उद्देश्य देश में वनों का विस्तार और पर्यावरण संरक्षण है, न कि प्रशासनिक खर्चों या अनावश्यक वस्तुओं की खरीद। अदालत ने यह भी कहा कि अधिनियम के अनुसार इस निधि पर जो भी ब्याज बनता है, उसे राज्य प्रतिपूरक वनीकरण निधि (SCAF) में जमा किया जाना चाहिए, लेकिन उत्तराखंड सरकार ने ऐसा नहीं किया।

हलफनामा दाखिल करने का निर्देश

कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से कहा कि वे इस पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए अगली सुनवाई की तिथि तक एक हलफनामा दाखिल करें। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो सरकार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

वन संरक्षण के नाम पर हो रही लापरवाही?

CAMPA निधि का उद्देश्य वनों की कटाई से हुए नुकसान की भरपाई के लिए नए वृक्षारोपण और वन क्षेत्र बढ़ाने के उपायों में इसका उपयोग करना है। लेकिन CAG रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड में इस धन का इस्तेमाल व्यक्तिगत और प्रशासनिक सुख-सुविधाओं पर किया गया, जिससे इस योजना के मूल उद्देश्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।

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