स्वच्छता और संसाधन संरक्षण में आध्यात्मिकता व मीडिया की भूमिका पर विशेष कार्यक्रम

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देहरादून : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने 29 सितंबर 2025 को स्वच्छता अभियान के तहत एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और संसाधन संरक्षण को वैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों के साथ जोड़ने पर बल दिया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत “स्वच्छता अभियान के संदर्भ में धर्म की प्रासंगिकता” विषय पर एक ऑनलाइन सत्र के साथ हुई। उत्तर प्रदेश के बृंदावन से महाराज आचार्य शुभम आनंद जी ने अपने प्रेरक प्रवचन में कहा कि सच्ची स्वच्छता मन से शुरू होती है और यह बाहरी वातावरण में भी परिलक्षित होनी चाहिए। उन्होंने बताया कि स्वच्छ मन, विनम्र वाणी और अच्छा दैनिक आचरण स्वच्छ पर्यावरण का निर्माण करते हैं, जो व्यक्ति और समाज को सुख प्रदान करता है। घर, मोहल्ले और प्राकृतिक संसाधनों को स्वच्छ रखना न केवल ईश्वर को अर्पण है, बल्कि मानवता की सेवा भी है।

इसके साथ ही, संस्थान ने “स्वच्छता और संसाधन संरक्षण” पर एक प्रेस और मीडिया मीट का आयोजन किया। इस मीट में पंजाब केसरी के गौरव मिश्रा औरप्रांजल, अमर उजाला के विजेंद्र श्रीवास्तव, नवोदय टाइम्स के अरविंद कुमार सिंह, और डीडी न्यूज के सचिन कुमार व मनोज ने सक्रिय भागीदारी की। उन्होंने स्वच्छता अभियान को जाति, पंथ और सामाजिक बाधाओं से परे ले जाकर समाज के व्यापक हित में इसे एक जन आंदोलन बनाने पर अपने विचार साझा किए।

संस्थान के निदेशक डॉ. एम. मधु ने नदियों, जलाशयों, घरों और आसपास के वातावरण को स्वच्छ रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने वैज्ञानिक, सामाजिक और आध्यात्मिक मूल्यों को एकीकृत कर पर्यावरण संरक्षण के लिए संस्थान की प्रतिबद्धता दोहराई।

डॉ. एम. मुरुगानंदम, प्रधान वैज्ञानिक और पीएमई व केएम इकाई के प्रभारी ने मीडिया प्रतिनिधियों, अतिथि वक्ताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण और संसाधन संरक्षण के लिए आत्म-नियमन और सामूहिक जिम्मेदारी के माध्यम से जन आंदोलन बनाने का प्रयास है।

वरिष्ठ वैज्ञानिक इंजी. एस.एस. श्रीमाली ने महाराज जी और अतिथि वक्ताओं का परिचय दिया और स्वच्छता अभियान के आध्यात्मिक दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। चर्चा में यह उभरकर सामने आया कि सभी प्रमुख धर्म स्वच्छता को पवित्र गुण मानते हैं। स्वच्छता केवल नागरिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुशासन भी है जो विश्वास को सामाजिक कार्यों से जोड़ता है।

चर्चा में उचित नियमों, दिशानिर्देशों और उनके ईमानदार कार्यान्वयन के महत्व पर भी बल दिया गया। स्कूली बच्चों, नागरिक निकायों, नीति निर्माताओं और समाज के सभी वर्गों को 2047 तक भारत को स्वच्छ और सशक्त बनाने के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता बताई गई।

कार्यक्रम में 110 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 40 ऑनलाइन शामिल हुए। इनमें प्रमुख वैज्ञानिकों जैसे डॉ. एस.के. दुबे (ICAR-CSSRI, करनाल), डॉ. एके सिंह, डॉ. अंबरीश कुमार, डॉ. जे.एम.एस. तोमर, डॉ. बांके बिहारी, डॉ. राजेश कौशल, डॉ. विभा सिंघल, डॉ. मतबर सिंह राणा, डॉ. इंदु रावत, डॉ. रमा पाल, और डॉ. सादिकुल इस्लाम के साथ-साथ अनिल कुमार चौहान, एम.एस. चौहान, सोनिया चौहान, राकेश कुमार, इंजी. अमित चौहान, प्रवीण कुमार तोमर, धर्मपाल जैसे अन्य गणमान्य शामिल रहे।

महाराज जी के साथ दैनिक जीवन की दुविधाओं और व्यक्तिगत व सामाजिक कल्याण में स्वच्छता के महत्व पर भी जीवंत चर्चा हुई। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. मुरुगानंदम और उनकी टीम – इंजी. एस.एस. श्रीमाली, इंजी. अमित चौहान, अनिल चौहान, और मीनाक्षी पंत ने किया।

कार्यक्रम का समापन कर्मचारियों, प्रतिभागियों और मीडिया प्रतिनिधियों द्वारा स्वच्छता को न केवल एक अभियान बल्कि जीवनशैली के रूप में अपनाने की सामूहिक शपथ के साथ हुआ। इस शपथ में धार्मिक मूल्यों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रेरणा लेने का संकल्प लिया गया।

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