खूंखार कुत्तों पर नकेल कसने की तैयारी, इस राज्य बनने वाला है सख्त कानून 

0
Screenshot_2025-07-07-10-04-44-36_40deb401b9ffe8e1df2f1cc5ba480b12.jpg

गोवा : देश में पालतू कुत्तों के हमलों के बढ़ते मामलों के बीच अब राज्य सरकारें सतर्क हो गई हैं। गोवा सरकार ने पिटबुल और रॉटवीलर जैसी खतरनाक नस्लों पर सख्त रुख अपनाते हुए इन्हें प्रतिबंधित करने वाला विधेयक लाने का निर्णय लिया है। यह विधेयक आगामी 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में गोवा विधानसभा में पेश किया जाएगा।

मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने घोषणा की है कि कैबिनेट ने इस कानून को मंजूरी दे दी है, जिसमें इन खूंखार नस्लों की खरीद, बिक्री और प्रजनन पर पूरी तरह से रोक लगाने का प्रावधान है। कानून के उल्लंघन पर तीन महीने की जेल, ₹50,000 तक का जुर्माना और सामुदायिक सेवा की सजा भी प्रस्तावित है।

लोगों की मांग पर सरकार सक्रिय

फरवरी में राज्य में हुए कुत्तों के हमलों के मामलों के बाद आम जनता की ओर से इन नस्लों को बैन करने की मांग उठी थी। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ‘पशु प्रजनन और घरेलू विनियमन एवं क्षतिपूर्ति अधिनियम 2024’ में संशोधन कर यह फैसला लिया है।

सरकार अब ऐसी नस्लों को ‘खतरनाक’ घोषित करने से पहले 15 दिनों का सार्वजनिक नोटिस देगी, जिसमें जनता से सुझाव और आपत्तियाँ ली जाएंगी। इसके बाद अंतिम सूची तैयार की जाएगी।

उत्तराखंड में भी उठी मांग

इधर, उत्तराखंड में भी हाल के महीनों में पालतू और आवारा कुत्तों द्वारा बच्चों और बुजुर्गों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं। देहरादून, हल्द्वानी और रुद्रपुर जैसे शहरों में पिटबुल और रॉटवीलर नस्लों के कुत्तों द्वारा हमले की शिकायतें मिली हैं। स्थानीय नागरिकों और सामाजिक संगठनों ने सरकार से इन खतरनाक नस्लों पर कानून लाने की मांग की है।

हाल ही में राजपुर क्षेत्र में एक पिटबुल द्वारा एक बुजुर्ग महिला को गंभीर रूप से घायल कर देने की घटना ने पूरे राज्य को हिला दिया। नैनीताल में इस तरह के मामले सामने आ चुके हैं। नगर निगम और पशुपालन विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं कि क्या इन नस्लों का पंजीकरण और निगरानी सही से हो रही है?

क्या उत्तराखंड भी गोवा की राह चलेगा?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि उत्तराखंड सरकार गोवा की तरह कदम उठाती है या नहीं। जानकारों का मानना है कि पहाड़ी क्षेत्रों और छोटे कस्बों में ऐसे हमलों का रिस्क और ज़्यादा है क्योंकि वहां न तो ट्रेन्ड वेटरनरी सिस्टम है, न ही इन नस्लों को नियंत्रित करने की तैयारी।

 

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Share