नैनो यूरिया (तरल) किसानों के लिये एक वरदान स्वरूप, जिलाधिकारी ने किसानों से की नैनो यूरिया (तरल) का उपयोग करने की अपील

नैनो यूरिया (तरल) किसानों के लिये एक वरदान स्वरूप, जिलाधिकारी ने किसानों से की नैनो यूरिया (तरल) का उपयोग करने की अपील

हरिद्वार । जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल से कलक्ट्रेट में इफ्को के अधिकारियों ने मुलाकात की तथा इफको नैनो यूरिया (तरल) के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। इफको के अधिकारियों ने जिलाधिकारी को बताया कि नैनो यूरिया (तरल) किसानों के लिये एक वरदान साबित हो रहा है। यह सस्ता होने के साथ ही अधिक कारगर तथा पर्यावरण के अनुकूल है। उन्होंने बताया कि इफको नैनो यूरिया (तरल) नैनो तकनीक पर आधारित एक अनोखा उर्वरक है, जो विश्व में पहली बार इफको द्वारा विकसित किया गया है तथा भारत सरकार द्वारा अनुमोदित है।

जिलाधिकारी द्वारा पूछे जाने पर इसका छिड़काव कैसे किया जाता है, के सम्बन्ध में अधिकारियों ने बताया कि फसल की क्रांतिक अवस्थाओं पर नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिडकाव करने से नाइट्रोजन की सफलतापूर्वक आपूर्ति हो जाती है, जिससे उत्पादन और उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होने के साथ ही बिना उपज प्रभावित किये यूरिया या अन्य नाइट्रोजनयुक्त उर्वरकों की मात्रा में भी कमी आती है, जिससे किसानों को कम लागत में अधिक फसल प्राप्त होने से ज्यादा मुनाफा होता है। इसके अलावा यह सभी फसलों के लिए उपयोगी होने के साथ ही इसका परिवहन व भण्डारण काफी आसान है, क्योंकि यह 500 मि0ली0 की बोतल में भी आती है, जिससे यह किसानों को काफी सस्ता पड़ता है।
नैनो यूरिया (तरल) का उपयोग कैसे किया जाता है, के सम्बन्ध में जिलाधिकारी द्वारा पूछे जाने पर अधिकारियों ने बताया कि नैनो यूरिया को 24 मि.ली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर खड़ी फसल में छिड़काव किया जाता है तथा नाइट्रोजन की कम आवश्यकता वाली फसलों में 2 मिली लीटर एवं नाइट्रोजन के अधिक आवश्यकता वाली फसल में 4 मिलीलीटर तक नैनो यूरिया प्रति लीटर पानी की दर से उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा अनाज, तिलहनी, गन्ना, फल, फूल, सब्जियां व औषधीय इत्यादि फसलों में दो बार तथा दलहनी फसलों में प्रथम सिंचाई पर एक बार नैनो यूरिया का उपयोग किया जा सकता है। पहला छिड़काव अंकुरण/रोपाई के 50-55 दिन बाद दूसरा छिड़काव फूल आने के एक सप्ताह पूर्व किया जा सकता है।
श्री धीराज सिंह गर्ब्याल द्वारा पूछे जाने पर कि एक एकड़ खेत के लिये कितने पानी की आवश्यकता होगी, के सम्बन्ध में अधिकारियों ने बताया कि एक एकड़ खेत के लिए प्रति छिड़काव लगभग 125 लीटर पानी की मात्रा पर्याप्त होती है, लेकिन गन्ना तथा मक्का की फसल में पानी की मात्रा 250 ली. प्रयोग करना होगा तथा इसमें नैनो यूरिया की मात्रा एक लीटर प्रयोग करनी चाहिए।
जिलाधिकारी द्वारा पूछे जाने पर इसका उपयोग कैसे करना है तथा इसमें क्या-क्या सावधनियां बरतनी चाहिये, के सम्बन्ध में अधिकारियों ने बताया कि इसके उपयोग करने से पहले बोतल को अच्छी तरह हिलाना पड़ता है तथा इसका छिड़काव सुबह या शाम के समय जब तेज धूप, तेज हवा तथा ओस न हों, करना चाहिये। उन्होंने यह भी बताया कि यद्यपि नैनो यूरिया विष-मुक्त है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से फसल पर छिड़काव करते समय फेस मास्क और दस्ताने का उपयोग अवश्य करना चाहिये।
इस मौके पर जिलाधिकारी ने कहा कि नैनो यूरिया किसानों के लिये एक वरदान स्वरूप है तथा किसानों को बेहिचक नैनो यूरिया का उपयोग करना चाहिये, क्योंकि यह किसानों को कम लागत में अधिक फायदा पहुंचा सकती है। उन्होंने किसानों से नैनो यूरिया (तरल) के फायदों को देखते हुये इसका अधिक से अधिक उपयोग करने की अपील की।

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