श्रद्धालुओं के लिए खुले बाबा केदार के कपाट, बम-बम भोले के जयकारों से गूंज उठी केदारपुर

केदारनाथ: चारधाम यात्रा 2025 का विधिवत शुभारंभ हो चुका है। आज शुक्रवार सुबह ठीक 7 बजे ग्यारहवें ज्योतिर्लिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। यह शुभ घड़ी बैशाख मास, वृष लग्न और मिथुन राशि में तय की गई थी।
मंदिर परिसर ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘जय श्री केदार’ के जयघोष से गूंज उठा, वहीं सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों ने वातावरण को दिव्य बना दिया। कपाट खुलने की प्रथम पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से संपन्न हुई। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं मौजूद रहे और पूजा-अर्चना में भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि सरकार तीर्थयात्रियों को हरसंभव सुविधाएं देने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास जताया कि इस वर्ष बाबा केदार के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की संख्या नए कीर्तिमान बनाएगी।
108 क्विंटल फूलों से सजाया गया धाम
कपाट खुलने के पावन अवसर पर केदारनाथ धाम को 108 क्विंटल फूलों से भव्य रूप में सजाया गया। देश-विदेश से आए 12,000 से अधिक श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने। मौसम भी अनुकूल रहा, साफ़ आसमान और दूर बर्फ़ से ढकी पहाड़ियों ने दृश्य को अलौकिक बना दिया।
पूजा-अर्चना की विस्तृत प्रक्रिया
कपाट खुलने की प्रक्रिया सुबह 5 बजे शुरू हो गई थी। श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के कर्मचारी सुबह 4 बजे से ही तैयारियों में जुटे थे।
छह बजे मंदिर के रावल भीमाशंकर लिंग, पुजारी, विधायक आशा नौटियाल, जिलाधिकारी सौरभ गहरवार, मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, और वेदपाठीगणों ने गर्भगृह में प्रवेश कर विशेष पूजा की। दक्षिण द्वार भी साथ ही खोला गया।
भैरव बाबा की पूजा और डोली आगमन
27 अप्रैल को उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान भैरवनाथ जी की पूजा के साथ पंचमुखी डोली की यात्रा शुरू हुई थी। 28 अप्रैल को डोली ने केदारनाथ के लिए प्रस्थान किया और विभिन्न पड़ावों से गुजरते हुए 1 मई की शाम को धाम पहुंची।
3 मई को भैरवनाथ मंदिर के कपाट भी खोले जाएंगे, ऐसा BKTC मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया।
विभिन्न प्रशासनिक और धार्मिक प्रतिनिधियों की उपस्थिति
आज के पावन अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष अमरदेई शाह, पुलिस अधीक्षक अक्षय प्रह्लाद कोंडे, मंदिर समिति के अधिकारी, वेदपाठी, तीर्थ पुरोहित, हकहकूकधारी एवं भारी संख्या में तीर्थयात्री उपस्थित रहे।