कांतारा चैप्टर-1 : ऋषभ शेट्टी का जलवा, दमदार एक्शन और शानदार क्लाइमैक्स

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‘कांतारा चैप्टर 1’ की कहानी 2022 में रिलीज हुई ‘कांतारा’ के ठीक बाद शुरू होती है। क्या यह फिल्म अपने पहले भाग की तरह दर्शकों का दिल जीत पाएगी? आइए जानते हैं।

फिल्म: कांतारा चैप्टर 1

कलाकार: ऋषभ शेट्टी, रुक्मिणी वसंत, गुलशन देवैया, जयराम, प्रमोद शेट्टी

लेखक-निर्देशक: ऋषभ शेट्टी

निर्माता: विजय किरागंदूर, चलुवे गौड़ा

रिलीज: 2 अक्टूबर 2025

रेटिंग: 3.5/5

कहानी:

फिल्म की कहानी उसी बिंदु से शुरू होती है जहां ‘कांतारा’ का पहला भाग खत्म हुआ था। एक बच्चे के सवाल के जवाब में दंत कथा सुनाई जाती है, जो कंदब साम्राज्य के समय की है। एक तरफ भगवान शिव के उपासक कांतारा गांव के लोग हैं, जो ईश्वर के मधुबन में रहते हैं, तो दूसरी तरफ राजा विजयेंद्र (जयराम) का साम्राज्य है। विजयेंद्र के दादा मधुबन हड़पना चाहते थे, लेकिन दैवीय शक्ति ने उन्हें रोक दिया। इससे डरकर विजयेंद्र ने कांतारा से दूरी बनाए रखी। लेकिन जब उनके बेटे कुलशेखर (गुलशन देवैया) को राजगद्दी मिलती है, वह कांतारा में घुसने की कोशिश करता है। जवाब में कांतारा का रक्षक बेर्मे (ऋषभ शेट्टी) कुलशेखर के साम्राज्य में घुस जाता है। कहानी तब नया मोड़ लेती है जब कुलशेखर जबरन कांतारा में घुसकर वहां के लोगों पर हमला करता है। इसके बाद दैव नाराज होते हैं, और असली कहानी शुरू होती है।

अभिनय:

ऋषभ शेट्टी इस फिल्म की रीढ़ हैं। उनका स्क्रीन प्रेजेंस और एक्शन दृश्य दर्शकों को बांधे रखते हैं। रुक्मिणी वसंत खूबसूरत और प्रभावशाली हैं, खासकर एक्शन सीन्स में। गुलशन देवैया ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। भले ही वह शारीरिक रूप से ऋषभ से कमजोर दिखें, लेकिन अभिनय में उनका दमखम शानदार है। बाकी कलाकारों ने भी कहानी को मजबूती दी है।

निर्देशन:

ऋषभ शेट्टी ने एक बार फिर साबित किया कि वह अभिनय के साथ-साथ निर्देशन में भी माहिर हैं। हालांकि, फिल्म का मध्य भाग कुछ नीरस हो जाता है, जिसे और बेहतर किया जा सकता था। फिल्म की लंबाई भी थोड़ी कम हो सकती थी। फिर भी, ऋषभ ने ‘कांतारा’ की आत्मा को बरकरार रखा। जंगल के एक्शन दृश्य और रुद्र गुलिगा के सीन कमाल के हैं।

संगीत:

फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक हर दृश्य के साथ माहौल को और जीवंत बनाता है। खासकर प्री-इंटरवल एक्शन सीन में बीजीएम और दृश्यों का तालमेल लाजवाब है। गाने कहानी के अनुरूप हैं और माहौल को बढ़ाते हैं।

खूबियां और कमियां:

बढ़े हुए बजट का फायदा फिल्म के वीएफएक्स में दिखता है, जो पहले से बेहतर हैं। हालांकि, मेकर्स ने इसे पीरियड-वॉर ड्रामा का रूप देकर ‘बाहुबली’ जैसा बनाने की कोशिश की, जो जरूरी नहीं था। पहला भाग जहां भक्ति पर केंद्रित था, वहीं यह फिल्म बीच में हंसी-मजाक और कॉमिक सीन में भटक जाती है। फिर भी, ऋषभ ने अपने अभिनय और क्लाइमैक्स के जरिए फिल्म को संभाल लिया। खासकर चावुंडी देवी का रूप धारण करने वाला दृश्य देखने लायक है।

देखें या नहीं:

‘कांतारा’ सीरीज और साउथ सिनेमा के प्रशंसकों के लिए यह फिल्म जरूर देखने लायक है। अगर आपको ज्यादा एक्शन पसंद नहीं, तो थोड़ा विचार कर सकते हैं, क्योंकि इस बार एक्शन का स्केल बड़ा है। पोस्ट-क्रेडिट सीन की उम्मीद न करें, लेकिन एक नई दंत कथा सुनने के लिए तैयार रहें।

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