नींद न आने की शिकायत है तो हो जाए सावधान, इस तरह के विकारों के उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश में संचालित किया जा रहा है स्पेशल क्लीनिक
ऋषिकेश : यदि आपको नींद संबंधी विकार अथवा नींद न आने की शिकायत है तो सावधान रहिए। इस बीमारी से न केवल मानसिक विकार जन्म ले सकते हैं अपितु इसके कारण आप कई अन्य बीमारियों अथवा दुर्घटनाओं के शिकार भी हो सकते हैं। एम्स ऋषिकेश के निद्रा रोग विशेषज्ञों के मुताबिक इस समस्या को हल्के में लेने के बजाए इसको गंभीरता से लेना जरूरी है। इस तरह के विकारों के उपचार के लिए एम्स ऋषिकेश में बाकायदा स्पेशल क्लीनिक संचालित किया जा रहा है।
संस्थान के निद्रा रोग विशेषज्ञों के अनुसार हमारे जीवन के लिए नींद बहुत अनिवार्य है। वयस्क व्यक्ति अपने जीवन का औसतन एक तिहाई समय सोने में व्यतीत करता है। नींद के दौरान भी शरीर के अंदर अनेकानेक गतिविधियां जारी रहती हैं जो हमारे जागने पर शेष दो तिहाई अवधि की गुणवत्ता को प्रभावित और निर्धारित करती हैं। दिनभर ऊर्जावान बने रहने हेतु अच्छी गुणवत्ता वाली नींद अति आवश्यक है। दैनिक कार्यों, विभिन्न कलाओं को सीखने और कार्य को एकाग्रता से करने हेतु नींद अति महत्वपूर्ण है। नींद के दौरान दिमाग काम करना जारी रखता है और जो कुछ भी एक व्यक्ति ने दिन में सीखा है, उसे नींद के दौरान लॉन्ग टर्म मेमोरी स्टोर में शिफ्ट कर देता है। साथ ही जागते समय मस्तिष्क के लगातार काम करने से दिमाग में जमा होने वाले जहरीले पदार्थों से भी दिमाग को छुटकारा मिलता है। यदि किसी व्यक्ति को नींद कम आती है या अच्छी गुणवत्ता वाली नींद नहीं आती है, तो इसके असर से दिमाग में विषाक्त पदार्थ जमा होते रहते हैं और न्यूरॉन्स की उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं, जो कि हानिकारक हैं। इस वजह से हम बीमारियों का शिकार होने लगते हैं। नींद कम लेने या इसकी गुणवत्ता ख़राब होने से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक और हृदय रोग जैसी बीमारियों की संभावना ज्यादा हो जाती है। इसके अलावा गहरी नींद न आने से अवसाद, थकान और व्यस्न पैदा होने का जोखिम भी बढ़ जाता है।
विभिन्न नींद विकारों से पीड़ित लोग अथवा नींद से वंचित लोग ताजगी भरी नींद नहीं ले पाते हैं। नींद संबंधी विकार सभी उम्र में देखे जाते हैं। वैज्ञानिक आंकड़े बताते हैं कि भारतीय लोगों में तीन किस्म के नींद विकार आम हैं। इनमें पहला विकार यह है कि दस में से एक वयस्क व्यक्ति सो जाने या नींद को बनाए रखने में असमर्थ है। इस समस्या को आमतौर पर अनिद्रा के रूप में जाना जाता है। इसी तरह 25 में से एक वयस्क ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित है। इस समस्या खर्राटों के रूप में प्रकट होती है और ऐसे व्यक्ति को नींद के दौरान कुछ -कुछ सेकंड्स के लिए सांस रुक जाती है। जबकि 50 में से एक व्यक्ति रेस्टलेस लेग्स सिंड्रोम से पीड़ित है। नींद की इस प्रकार की समस्या से पीड़ित व्यक्ति शाम या रात के समय पैरों में दर्द या बेचैनी होने की शिकायत बताता है। यह समस्या निष्क्रियता के साथ आगे बढ़ती है और पैरों को हिलाने या मालिश करने से ठीक हो जाती है।
इस बाबत एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर( डॉक्टर) मीनू सिंह ने बताया कि हमारे विशेषज्ञों के शोध से पता चला है कि उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों ( समुद्र तल से 2000 मीटर ऊपर) में रहने वाले लोगों में नींद की गुणवत्ता ख़राब होने का जोखिम दोगुना होता है और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम का जोखिम छह गुना अधिक है। नींद की ख़राब गुणवत्ता थकान को बढ़ाती है और दिमागी सतर्कता को कम करती है। इस कारण ऐसे लोगों को कई बार दिन के समय नींद के झोंके आने लगते हैं। खराब नींद की गुणवत्ता एक प्रमुख और आम स्वास्थ्य समस्या है। नींद संबंधी विकारों से शरीर में रोग पैदा होने के अलावा औद्योगिक क्षेत्र में कार्य करते हुए तथा वाहन चलाने के दौरान सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम भी ज्यादा बढ़ जाता है।
निद्रा रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. रवि गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2010 में मैंगलोर में हुई एयर इंडिया के विमान दुर्घटना की घटना को भी पायलट के नींद में होने की वजह बताया गया था। उन्होंने बताया कि अच्छी बात यह है कि नींद संबंधी विकारों का इलाज संभव है। स्वास्थ्य पर नींद संबंधी विकारों के प्रतिकूल प्रभाव को देखते हुए नींद की बीमारी से ग्रसित लोगों के लिए जरूरी है कि वह जल्द से जल्द डॉक्टर से चिकित्सीय सलाह लें। डॉ. रवि गुप्ता ने बताया कि इस प्रकार नींद के विकारों से ग्रसित लोगों के लिए एम्स ऋषिकेश में स्लीप मेडिसिन विभाग स्थापित है। यह विभाग पिछले चार वर्षों से स्लीप डिसऑर्डर से पीड़ित रोगियों की सेवा के लिए स्लीप क्लिनिक और स्लीप लेबोरेटरी चला रहा है। यहां इलाज कराने वाले सैकड़ों मरीज अभी तक स्वास्थ्य लाभ ले चुके हैं। यह विभाग नैदानिक सेवाएं प्रदान करने के अलावा चिकित्सा अनुसंधान में भी कार्य कर रहा है।
निद्रा रोग विशेषज्ञ डॉ. लोकेश कुमार सैनी ने बताया कि स्लीप डिसऑर्डर में इसके योगदान को ध्यान में रखते हुए इस विभाग को वर्ल्ड स्लीप सोसाइटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्लीप रिसर्च ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए एक साइट के रूप में चुना गया है, जहां स्लीप मेडिसिन के क्षेत्र में अनुसंधान करने और कौशल हासिल करने में रुचि रखने वाले लोग आ सकते हैं और सीख सकते हैं।