मुख्यमंत्री धामी ने 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से पहले उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने की घोषणा की, उत्तराखंड सरकार ने इस साल 6 फरवरी को पेश किया था यूसीसी विधेयक

मुख्यमंत्री धामी ने 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से पहले उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने की घोषणा की, उत्तराखंड सरकार ने इस साल 6 फरवरी को पेश किया था यूसीसी विधेयक

देहरादून । मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) कब लागू की जाएगी। सीएम धामी ने 9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस से पहले उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू करने की घोषणा की। बता दें कि उत्तराखंड सरकार ने इस साल 6 फरवरी को यूसीसी विधेयक पेश किया था। यूसीसी के अनुसार, लिव-इन रिलेशनशिप को रजिस्टर्ड नहीं कराने पर 3 महीने की कैद और 10,000 रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। 7 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक को बहुमत से पारित किया गया, जिसे सीएम धामी ने पेश किया था। 29 फरवरी को उत्तराखंड के राज्यपाल गुरमीत सिंह ने विधेयक को राष्ट्रपति मुर्मू के पास मंजूरी के लिए भेजा था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 13 मार्च को उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक 2024 को मंजूरी दी थी।

इसके बाद उत्तराखंड यूसीसी को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया था। UCC विधेयक में सभी नागरिकों के लिए व्यक्तिगत मामलों के लिए समान कानून स्थापित करने का प्रस्ताव था। इनमें विवाह, तलाक, विरासत और संपत्ति के अधिकार जैसे कानून शामिल हैं। यूसीसी सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा, चाहे उनका धर्म या लिंग कुछ भी हो। प्रस्तावित कानून में 392 धाराएं हैं, जिन्हें सात अध्यायों में विभाजित किया गया है। ये धाराएं महिलाओं को विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और संपत्ति के उत्तराधिकार में समान अधिकार प्रदान करती हैं। ये बहुविवाह पर प्रतिबंध लगाती हैं। पुरुषों और महिलाओं के लिए विवाह योग्य आयु (क्रमशः 21 वर्ष और 18 वर्ष) निर्धारित करते हैं। साथ ही विवाहों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य बनाती हैं। सीएम धामी ने आगे विकास और पर्यावरण दोनों को संतुलित करने के लिए किए जा रहे कार्यों और राज्य के सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) की दिशा में प्रगति के बारे में भी बताया। सीएम ने कहा- उत्तराखंड में विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाकर काम किया जा रहा है। राज्य सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) की दिशा में आगे बढ़ा है।

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