अनिल बलूनी के बयान के बाद चर्चा तेज..खतरे में है प्रेमचंद अग्रवाल की कुर्सी?

- प्रदीप रावत ‘रवांल्टा‘
उत्तराखंड की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है। विधानसभा में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के विवादित बयान के बाद से ही उनका विरोध लगातार तेज होता जा रहा है। पहले भाजपा के नेता और संगठन उनके समर्थन में खड़े नजर आए, लेकिन अब हालात बदलते दिख रहे हैं। विरोध बढ़ते ही सफाई देने का दौर भी शुरू हो गया, लेकिन अब पार्टी के ही बड़े नेताओं ने एक अलग संकेत देना शुरू कर दिया है।
इस पूरे मामले में अब एक बड़ा मोड़ तब आया जब गढ़वाल सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कोटद्वार में बयान दिया। बलूनी ने साफ तौर पर कहा कि “विधानसभा में जो हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है और सभी को मर्यादाओं में रहकर बयान देना चाहिए।” साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने इस मामले में अपना विरोध पार्टी के उचित मंच पर दर्ज करा दिया है। यही बयान अब राजनीतिक गलियारों में प्रेमचंद अग्रवाल की कुर्सी को लेकर अटकलों को और तेज कर रहा है।
इस घटनाक्रम को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिल्ली दौरे से भी जोड़कर देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तरकाशी दौरे के तुरंत बाद धामी दिल्ली रवाना हो गए थे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुई बैठकों में उत्तराखंड कैबिनेट विस्तार और मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी चर्चा हुई होगी?
अगर अनिल बलूनी के बयान को ध्यान से देखा जाए, तो यह केवल एक औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं लगती। बलूनी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता होने के साथ-साथ मोदी-शाह की कोर टीम के करीबी माने जाते हैं। अगर उन्होंने सार्वजनिक रूप से प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा वाले विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण” करार दिया है और पार्टी मंच पर विरोध दर्ज कराने की बात कही है, तो यह संकेत बेहद साफ है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व तक यह मामला गंभीरता से पहुंच चुका है।
भाजपा में यह परंपरा रही है कि सार्वजनिक रूप से बड़े नेताओं की आलोचना करने से बचा जाता है। लेकिन, अनिल बलूनी जैसे बड़े नेता अगर यह कह रहे हैं कि उन्होंने पार्टी मंच पर अपना विरोध दर्ज कराया है, तो यह सीधा संदेश है कि पार्टी में प्रेमचंद अग्रवाल को लेकर असंतोष पनप चुका है।
एक तरफ जहां शुरुआती दिनों में प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल और विधायक विनोद चमोली प्रेमचंद अग्रवाल का बचाव कर रहे थे। वहीं, अब अनिल बलूनी का यह बयान एक अलग ही इशारा कर रहा है। इससे यह भी संकेत मिल रहा है कि भाजपा के भीतर प्रेमचंद अग्रवाल के विकल्प पर भी मंथन चल रहा है?
उत्तराखंड की राजनीति में कैबिनेट फेरबदल की चर्चा लंबे समय से चल रही है। धामी सरकार पर परफॉर्मेंस सुधारने और नए चेहरों को लाने का दबाव भी बढ़ रहा है। अगर दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से बातचीत के बाद प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से हटाने का फैसला होता है, तो यह कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी।
हालांकि, भाजपा सार्वजनिक रूप से इस मामले पर फिलहाल कुछ भी कहने से बच रही है। लेकिन, अनिल बलूनी के बयान के बाद यह तय हो गया है कि मामला अब प्रदेश की सीमाओं से बाहर निकलकर राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंच चुका है। अब सवाल यह नहीं है कि प्रेमचंद अग्रवाल की कुर्सी जाएगी या नहीं, बल्कि सवाल यह है कि यह फैसला कब और कैसे होगा?
राजनीति में हवा का रुख समझने वाले जानते हैं कि जब बड़े नेता किसी मुद्दे पर खुलकर बोलने लगें, तो परिवर्तन ज्यादा दूर नहीं होता। अब देखना होगा कि प्रेमचंद अग्रवाल खुद कोई कदम उठाते हैं या फैसला पार्टी के हाथ में जाता है। फिलहाल, उत्तराखंड की सियासत में हलचल तेज हो चुकी है, और अगले कुछ दिनों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।