अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने जोशीमठ में हो रहे भू धसाव के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने की उठाई मांग

 
कोटद्वार । चमोली जिले के जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव से लोगों के घरों में दरारें बढ़ती जा रही हैं। लगातार हो रहे भू-धंसाव से स्थिति बिगड़ रही है। वहीं, भू-धंसाव ने क्षेत्र के सभी वार्डों को चपेट में ले लिया है। घरों के साथ-साथ सड़कों में भी दरारें दिख रही हैं। जगह-जगह जमीन से पानी की धाराएं निकलने की घटनाएं सामने आ रही हैं। वहीं, विशेषज्ञों की टीम द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत सर्वेक्षण भी किया जा रहा है। जहां जोशीमठ में हो रहे भू-धसाव के मामले को गंभीरता से देखते हुए जिला प्रशासन ने बीआरओ के अन्तर्गत निर्मित हेलंग बाईपास निर्माण कार्य, एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना के अन्तर्गत निर्माण कार्य एवं नगरपालिका क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों एवं जोशीमठ-औली रोपवे का संचालन अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी गयी है। ऐसे में इस मामले की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता रोहित डंडरियाल ने जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों के लिए तुरंत इस पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय संयुक्त समिति का गठन करने के लिए सभी मंत्रालयों को एक पत्र भेजा है। जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, विद्युत, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, संबंधित मंत्रालयों से अनुरोध किया है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च शक्ति संयुक्त समिति का गठन किया जाए। जिससे जोशीमठ के प्रभावित क्षेत्रों का तुरंत निरीक्षण हो और जोशीमठ के लोगों का पुनर्वास का काम जल्द से जल्द शुरू किया जाए। 

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