एक ऐसा सरकारी स्कूल, जिसके सामने प्राइवेट स्कूल भी हैं फेल…

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  • प्रदीप रावत ‘रवांल्टा’

देहरादून जिले के रायपुर ब्लॉक के राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ (दूधली) ने साबित कर दिया कि सरकारी स्कूल भी अगर शिक्षकों का जज्बा हो, तो प्राइवेट संस्थानों से कहीं आगे निकल सकते हैं। यहां तैनात प्रधानाध्यापक अरविंद सिंह सोलंकी और उनकी पूरी टीम ने मिलकर स्कूल को ऐसा रूप दिया कि यह ‘निपुण विद्यालय पुरस्कार’ भी जीत चुका है।

सुबह की प्रार्थना में देशभक्ति, डिजिटल क्लासरूम और खेल, हर गतिविधि में बच्चे भाग लेते हैं न।स्कूल में पढ़ने वाले 100 से अधिक बच्चे न सिर्फ पढ़ाई में अव्वल हैं, बल्कि विज्ञान मेला, क्विज और खेलकूद में भी चमक बिखेरते हैं। 

 

शिक्षक कहते हैं, “हमारा मिशन सिर्फ सिलेबस पूरा करना नहीं, हर बच्चे को उसका सपना जीने लायक बनाना है।” रामगढ़ का यह स्कूल आज पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणा बन गया है, यह दिखाता है कि संसाधन कम हों, तो भी समर्पण से कुछ भी असंभव नहीं।

स्कूल में लाइब्रेरी में है, जहां बच्चे अपनी पसंद की हर किताब पढ़ते हैं। वहां, ना केवल किस्से-कहानियों की किताबें हैं। बल्कि बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान देने वाली किताबें भी हैं। इतना ही नहीं महापुरुषों की जीवनियों के साथ ही उत्तराखंड की लोक संस्कृति से जुड़ी किताबों को भी संजोया गया है।

सरकारी प्राथमिक विद्यालय ऐसा भी हो सकता है। अगर वहां तैनात शिक्षक अपनी क्षमताओं का सही उपयोग करें। अगर उनमें सेवा के प्रति समर्पण हो। अगर वो सही मायने में उस काम को करें, जिसके लिए उनकी नियुक्ति हुई है। अगर शिक्षक सही मायने में शिक्षक होने का अर्थ समझ सके।

अगर विद्यालय का प्रधानाध्यापक और सभी तैनात शिक्षक मिलकर चलें, तो सच में परिणाम वैसे ही आते हैं, जैसे राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ (दूधली) है। यहां वह सब गतिविधियां होती हैं, जो प्राइवेट स्कूलों में भी देखने को नहीं मिलती। यह सब संभव हुआ है सकारात्मक सोच, समर्पण और लगातार प्रयास करने से।

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