करवा चौथ 2025 : व्रत आज, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और चांद निकलने का समय

लव कपूर (फाउंडर प्रेसीडेंट/सी ई ओ/एडिटर इन चीफ)
National 24×7 digital live tv news channel
www.national24x7.com
Crime and political senior journalist
News channel WhatsApp no. 9897404750
https://www.facebook.com/national24x7offical
National 24×7 न्यूज़ चैनल को like, subscribe ,share और follow फॉलो करें
नई दिल्ली : आज देशभर में सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए करवा चौथ का व्रत मना रही हैं। यह पर्व हर साल कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष करवा चौथ विशेष शुभ संयोगों के साथ आया है, जिसमें सिद्धि योग और शिववास योग शामिल हैं, जो व्रत के फल को कई गुना बढ़ाने वाले माने जाते हैं।
करवा चौथ 2025: तिथि और शुभ योग
-
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 9 अक्टूबर 2025, रात 10:54 से
-
चतुर्थी तिथि समापन: 10 अक्टूबर 2025, शाम 07:38 तक
-
नक्षत्र: कृतिका नक्षत्र (शाम 5:31 तक)
-
योग: सिद्धि योग (शाम 5:41 तक), इसके बाद व्यतीपात योग
-
चंद्र राशि: वृषभ
-
करण: तैतिल करण
उदयातिथि के अनुसार, 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत मनाया जाएगा।
शुभ चौघड़िया मुहूर्त
करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ समय इस प्रकार हैं:
-
लाभ (उन्नति): सुबह 07:46 से 09:13 तक
-
अमृत (सर्वोत्तम): सुबह 09:13 से 10:41 तक
-
शुभ (उत्तम): दोपहर 12:08 से 01:35 तक
-
लाभ (उन्नति): रात 09:02 से 10:35 तक
राहु काल
-
राहु काल: सुबह 10:40 से दोपहर 12:07 तक
-
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:44 से दोपहर 12:30 तक
चंद्रोदय का समय (शहर अनुसार)
करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। विभिन्न शहरों में चंद्रोदय का समय इस प्रकार है:
-
दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद: रात 08:13
-
गाजियाबाद: रात 08:11
-
गुरुग्राम: रात 08:14
-
चंडीगढ़: रात 08:08
-
पंजाब: रात 08:10
-
जम्मू, लुधियाना: रात 08:11
-
देहरादून: रात 08:04
-
शिमला: रात 08:06
-
मुंबई: रात 08:55
-
कोलकाता: रात 07:41
करवा चौथ व्रत के नियम
-
सूर्योदय से पहले सरगी: व्रत शुरू करने से पहले सुबह सरगी ग्रहण करें। इसके बाद दिनभर निर्जला उपवास रखें।
-
16 श्रृंगार: पूजा और व्रत कथा का पाठ लाल जोड़े और सोलह श्रृंगार में करें।
-
चंद्रमा को अर्घ्य: चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत का पारण करें, अन्यथा व्रत अधूरा माना जाता है।
-
तामसिक भोजन से बचें: व्रत के दौरान तामसिक चीजों का सेवन न करें।
-
नुकीली वस्तुओं से परहेज: नुकीली चीजों का उपयोग न करें।
पूजा सामग्री
-
मिट्टी का करवा (टोटी वाला)
-
चंदन, तांबे का लोटा, शुद्ध जल, दूध
-
फूल, फूल माला, दीपक, धूप, रोली, चावल
-
मिठाई, फल, मेवे
-
करवा चौथ व्रत कथा की पुस्तक
-
छलनी, दान की सामग्री (चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि)
पूजा विधि और उपाय
-
संकल्प: सुबह स्नान कर शुद्ध होकर पूजा स्थान पर बैठें। शिव-पार्वती के सामने फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प करें।
-
करवा माता की पूजा: करवा माता, भगवान गणेश, शिव-पार्वती और स्वामी कार्तिकेय की विधिवत पूजा करें।
-
व्रत कथा: सोलह श्रृंगार में करवा चौथ की कथा का पाठ करें।
-
चंद्रमा को अर्घ्य: शाम को छलनी से चंद्रमा को देखकर अर्घ्य दें।
-
आशीर्वाद: सात सुहागिन महिलाओं से आशीर्वाद लें और व्रत का पारण करें।
-
दान: सुहाग की वस्तुएं जैसे चूड़ी, बिंदी, सिंदूर आदि दान करें, जो सुख-समृद्धि लाता है।
पूजन मंत्र
-
श्री गणेश: ॐ गणेशाय नमः
-
शिव: ॐ नमः शिवाय
-
पार्वती: ॐ शिवायै नमः
-
स्वामी कार्तिकेय: ॐ षण्मुखाय नमः
-
चंद्रमा: ॐ सोमाय नमः
करवा और सींक का महत्व
करवा चौथ की पूजा में मिट्टी या पीतल का करवा और कांस की सींक का विशेष महत्व है। करवा विघ्नहर्ता गणेश का प्रतीक है, जबकि सींक शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है। ये दोनों पूजा को पवित्रता और मंगलकामना प्रदान करते हैं।
कुंवारी कन्याएं भी रख सकती हैं व्रत
करवा चौथ का व्रत केवल सुहागिन महिलाओं तक सीमित नहीं है। कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा जीवनसाथी और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए यह व्रत रख सकती हैं। वे भगवान शिव-पार्वती या श्रीकृष्ण को ध्यान में रखकर व्रत करती हैं, जो सकारात्मक ऊर्जा और शुभ फल प्रदान करता है।