धराली आपदा : मलबे में सुरक्षित मिली मां राजराजेश्वरी की मूर्ति, जहां था मूल स्थान, वहीं पर थीं देवी…VIDEO

उत्तरकाशी: धराली आपदा में लापता लोगों का सर्च अभियान जारी है। इस दौरान, मलबे में दबे एक पुराने मंदिर से गलाणथोक की कुलदेवी राजराजेश्वरी की चांदी की मूर्ति और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां पूरी तरह सुरक्षित मिली हैं। इस खोज ने आपदा प्रभावित ग्रामीणों में आस्था और उम्मीद की नई किरण जगाई है।
बीते पांच अगस्त को धराली में आई आपदा में गलाणथोक गांव का एक पुराना भवन पूरी तरह जमींदोज हो गया था, जिसके नीचे उनकी कुलदेवी राजराजेश्वरी का मंदिर भी दब गया था। ग्रामीणों को लगा कि मूर्तियां नहीं मिल पाएंगी। उम्मीद भी कैसे करते, जहां बड़े-बड़े होटल और मकान तिनकी तरह तहस-नहस हो गए।
माचीस की डिब्बियों की तरह जिन बड़ी बिल्डिंगों को जलजला अपने साथ बहा ले गया। लेकिन, उस भीषण आपदा में माता की एक छोटी सी मूर्ति नहीं बही। यह कोई पहली बार नहीं है। इससे पहले जब गांव में लगभग 80 से 90 के दशक में भीषण आग लगी थी, तब भी उस घर में आग नहीं लगी थी, जिस घर में माता की मूर्ति रखी गई थी। यह किसी चतम्कार से कम तो बिल्कुल भी नहीं है।
12 दिनों बाद हुआ चमत्कार
आपदा के 12 दिन बाद, सर्च टीम को मलबे से करीब पांच से दस फीट नीचे खुदाई के दौरान एक पेड़ मिला। जब उस पेड़ को हटाया गया, तो उसके नीचे से कुलदेवी राजराजेश्वरी की चांदी की मूर्ति, उनकी कटार, और साथ में रखी पांच पांडवों और भगवान शिव की पंचमुखी मूर्तियां बिल्कुल सुरक्षित मिलीं।
सर्च टीम ने तुरंत इसकी जानकारी ग्रामीणों को दी। सूचना मिलते ही ग्रामीणों की भीड़ मौके पर पहुंची और अपनी कुलदेवी के दर्शन कर भावुक हो गई। गलाणथोक के राजेश पंवार ने बताया कि यह तीसरी बार है जब मां की मूर्ति किसी आपदा में सुरक्षित मिली है।
आस्था का इतिहास
राजेश पंवार के अनुसार, इससे पहले 70 और 80 के दशक में गांव में भीषण आग लगी थी, लेकिन मां भगवती का स्थान वाला भवन आग की चपेट में आने से बच गया था। इस बार भी मां की मूर्ति के ऊपर एक पेड़ गिरने के बावजूद वह यथावत मिली है, जिसे ग्रामीण दैवीय चमत्कार मानकर खुश हैं।
धराली में राहत और पुनर्वास कार्य भी जारी है। रेस्क्यू टीम लापता लोगों को खोजने में जुटी है, जबकि उच्च स्तरीय समिति लोगों के पुनर्वास और आजीविका सुदृढ़ीकरण के लिए बातचीत कर रही है। मलबे से सुरक्षित निकली इन मूर्तियों ने न केवल ग्रामीणों की आस्था को मजबूत किया है, बल्कि उन्हें इस मुश्किल घड़ी से निकलने के लिए मानसिक बल भी दिया है।