निर्वाचन आयोग को हाईकोर्ट से झटका, कांग्रेस बोली- चुनाव आयोग ने सरकार के दबाव में लिया गलत फैसला

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देहरादून। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल के फैसले ने राज्य निर्वाचन आयोग और सरकार के आदेश पर रोक लगाकर बड़ा संदेश दे दिया है। अदालत ने उन मतदाताओं को चुनाव लड़ने की अनुमति देने के निर्णय को खारिज कर दिया, जिनके नाम नगरीय और पंचायत दोनों क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज थे। यह आदेश पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध पाया गया।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (संगठन) सूर्यकांत धस्माना ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि आयोग ने भाजपा के इशारे पर काम करते हुए गलत आदेश जारी किया, जिसका खामियाजा उसे अदालत में भुगतना पड़ा।

उन्होंने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि कांग्रेस पहले ही इस मुद्दे को लेकर सतर्क थी। पार्टी अध्यक्ष करण माहरा के नेतृत्व में कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल चुनाव प्रक्रिया शुरू होने से पहले राज्य निर्वाचन आयोग से मिला था और दोहरी मतदाता सूची वाले व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की अनुमति न देने की मांग की थी।

धस्माना ने आरोप लगाया कि आयोग ने इस गंभीर आपत्ति को हल्के में लिया और भाजपा के दबाव में आकर ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी, जिससे स्पष्ट होता है कि आयोग निष्पक्ष नहीं रहा। उन्होंने कहा कि आयोग के कई अधिकारी “भाजपा के एजेंट” की तरह काम कर रहे हैं।

अब जब हाईकोर्ट ने इस निर्णय पर रोक लगा दी है, कांग्रेस इसे लोकतंत्र की जीत और असंवैधानिक फैसलों पर करारा तमाचा मान रही है।

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