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श्री गणेश महामोहत्सव गणेश चतुर्थी 7 सितम्बर से 17 सितम्बर अनंत चौदश तक मनाया जायेगा । श्री हर हर मंदिर नया हरिद्वार रानीपुर मोड़ हरिद्वार
हरिद्वार । भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी या गणेश उत्सव के रूप में भी जाना जाता है, हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता में अत्यधिक महत्व रखता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्हें देवी पार्वती ने अपने शरीर के मेल से बनाया था, जिन्होंने उनमें प्राण फूंक दिए थे। ‘विघ्नहर्ता’ या बाधाओं को दूर करने वाले के रूप में नियुक्त भगवान गणेश को ज्ञान, बुद्धि और शिक्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है। भक्त अपने प्रयासों, शिक्षा और नई शुरुआत में सफलता के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हैं।
गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी. इस दिन शुभ मुहूर्त में गणपति जी की स्थापना करें और विनायक चतुर्थी का व्रत करें.
गणेश चतुर्थी वाले दिन गणपति की स्थापना के लिए ढाई घंटे का शुभ मुहूर्त बन रहा है. गणेश प्रतिमा की स्थापना 7 सितंबर को सुबह 11.10 से दोपहर 1.39 के बीच कर लें.
गणेश चतुर्थी पर सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान के बाद लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें।
घर में बप्पा के सामने फलाहार व्रत का संकल्प लें. शुभ मुहूर्त में पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर गणपति जी को स्थापित करें।
भगवान को गंगाजल से स्नान करवाएं, सिंदूर, चंदन का तिलक लगाएं. पीले फूलों की माला अर्पित करें।
मोदक का भोग लगाएं, देसी घी का दीपक जलाएं. गणेश जी के मंत्रों का जाप करें. आरती के बाद प्रसाद बांट दें.
शाम को फिर से गणेश जी की आरती करें और फिर भोग लगाएं. इसके बाद ही व्रत का पारण करें.
गणेश चतुर्थी हमारी संस्कृति में बहुत महत्व रखती है, यह नई शुरुआत और बाधाओं को दूर करने का प्रतीक है। यह त्यौहार बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है, खासकर महाराष्ट्र में, जहाँ भगवान गणेश की खूबसूरती से तैयार की गई मूर्तियों को रखने के लिए भव्य पंडाल तथा उसमे गणपति स्थापित किये जाते हैं। सुबहा से लेकर रात्रि भोग को मिलाकर यह 7 बार भोग अर्पित कर 3 बार आरती कर पूजन उत्सव मानते है । ओर समाज मे भी कुछ भक्त गणेश की मूर्तियाँ घर लाते हैं, दैनिक पूजा करते हैं और विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ चढ़ाते हैं, विशेष रूप से मोदक,
गणेश स्थापन पूजन मे कम से कम 3 बार भोग ओर 2 बार आरती अवश्य करे ओर एक टाइम संकीर्तन अवश्य करना चाहिए ।