देश के इस राज्य में सुरंग से जुड़े हैं ये दो किले, दुश्मनों से बचने के महाराजा करते थे इस्तेमाल, माचिस की एक तिल्ली से रोशन हो जाता था महल 

 

जयपुर । राजस्थान किले- महल और बावड़ी के लिए दुनिया में मशहूर है। जयपुर में अरावली पर्वतमाला पर दो ऐसे किले हैं जो सुरंग से एक दूसरे से जुड़े हैं। उस वक्त कठोर चट्टान को काटकर सुरंग बनाई गई थी। ये सुरंग युद्ध के वक्त राजा और रानियों को बचाने के लिए बनाई गई थी।

– आमेर के किले के रास्ते जयगढ़ के किले तक पहुंचती है सुरंग
– आमेर महल से जयगढ़ पहुंचने वाली इस सुरंग को गुप्त तरीके से किले से बाहर निकलने के लिए बनाया गया था।
– जयगढ़ फोर्ट तक पहुंचने वाली ये सुरंग आमेर महल के पश्चिमी भाग में बनी है।
– इस सुरंग से मान सिंह महल, दीवान-ए-खास और महल के कई हिस्सों में पहुंचा जा सकता है।
– इस सुरंग में रोशनी के लिए मशाल का इस्तेमाल किया जाता था।
– किले को फिर से संवारते वक्त इस सुरंग को भी टूरिस्ट्स के लिए फिर से शुरू किया गया है।

जयगढ़ किला जयपुर का सबसे ऊंचा दुर्ग है। शहर में सबसे मजबूत भी। यहां से जयपुर के चारों ओर नजर रखी जाती थी। यहां रखी विशाल तोप भी करीब 50 किमी तक वार करने में सक्षम थी। इसे एशिया की सबसे बड़ी तोप भी माना जाता है।

इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा मानसिंह ने करवाया था। यह विश्व धरोहर में भी शामिल है। इसे बनाते वक्त इसमें सफेद और लास सैंड स्टोन का इस्तेमाल किया गया। ये महल हिंदू ओर मुगल आर्किटेक्ट का बेजोड़ नमूना है। इसे किले में बना आमेर पैलेस खास तौर पर राज परिवार के रहने के लिए बनाया गया था। कहा जाता है कि आमेर फोर्ट में बना शीश महल माचिस की एक तिल्ली से रोशन हो जाता था।

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