नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार को मंगलवार सुबह दस बजे तक राजीव भरतरी को पीसीसीएफ हेड का चार्ज देने के दिए आदेश

नैनीताल । हाई कोर्ट ने तीन बार कैट के आदेश होने के बाद सीनियर आइएफएस अधिकारी राजीव भरतरी को पीसीसीएफ का चार्ज नहीं दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ सरकार को तत्काल कल यानी मंगलवार सुबह दस बजे तक भरतरी को पीसीसीएफ हेड ऑफ डिपार्टमेंट का चार्ज देने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने विपक्षी से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है।

पूर्व में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण कैट इलाहाबाद की नैनीताल सर्किट बैंच ने सरकार व पीसीसीएफ विनोद सिंघल की पुनर्विचार याचिका को खारिज करते हुए प्रमुख वन संरक्षक पद पर राजीव भरतरी की नियुक्ति के अपने 24 फरवरी के आदेश को सही ठहराया है। सरकार ने 2021 में प्रमुख वन संरक्षक पद से राजीव भरतरी को हटाकर उनके स्थान पर विनोद कुमार सिंघल को प्रमुख वन संरक्षक नियुक्त किया था। कैट के न्यायधीश ओम प्रकाश की एकलपीठ ने 24 फरवरी 2023 को पीसीसीएफ पद से राजीव भरतरी को हटाने के आदेश को निरस्त कर दिया था। जिसके खिलाफ सरकार व पीसीसीएफ विनोद सिंघल ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर कर कहा कि महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की तैनाती सरकार का विशेषाधिकार है, इसलिए सरकार के आदेश को बहाल किया जाए। कैट ने सरकार व सिंघल के तर्कों को अस्वीकार करते हुए पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर दी थी।

पूर्व में उच्च न्यायालय ने भरतरी की याचिका में सुनवाई करते हुए उनसे कहा था कि वे अपने स्थान्तरण आदेश को कैट (सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल) इलाहाबाद में चुनौती दें। कैट इस मामले की शीघ्र सुनवाई करें। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी कहा था कि नवनियुक्त विभागाध्यक्ष कोई बड़ा निर्णय नही लें। याचिका में आइएफएस राजीव भरतरी ने कहा है कि वह राज्य के सबसे वरिष्ठ भारतीय वन सेवा के अधिकारी हैं, किंतु सरकार ने 25 नवम्बर 2021 को उनका स्थान्तरण प्रमुख वन संरक्षक पद से अध्यक्ष जैव विविधता बोर्ड के चेयरमैन पद पर कर दिया था। इस सम्बंध में उन्होंने सरकार को चार प्रत्यावेदन दिए लेकिन सरकार ने सुनवाई नहीं की। भरतरी ने कहा कि उनका स्थान्तरण राजनीतिक कारणों से किया गया है। जिसमें उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। भरतरी को तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत के आदेश पर वन विभाग के विभागाध्यक्ष पद से हटाया गया था।

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