सभी जिलों में 15 जून से पूर्व स्थापित कर ली जाएंगी 113 बाढ चौकियां: सतपाल महाराज, सिंचाई मंत्री ने मानसून सीज़न की तैयारियों को लेकर की बैठक
सभी जिलों में 15 जून से पूर्व स्थापित कर ली जाएंगी 113 बाढ चौकियां: सतपाल महाराज, सिंचाई मंत्री ने मानसून सीज़न की तैयारियों को लेकर की बैठक
हरिद्वार । जनपद के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के सिंचाई, लोक निर्माण, पर्यटन, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि मानसून से पूर्व चन्द्राचार्य चौक के आसपास जल भराव से स्थानीय व्यापारियों को होने वाली परेशानी से निपटने के लिए तत्काल कार्ययोजना बनाकर नालों की सफाई की जाए। सिंचाई विभाग द्वारा मानसून सीज़न को लेकर की जाने वाली तैयारियों को लेकर जनपद के प्रभारी मंत्री और प्रदेश के सिंचाई, लोक निर्माण, पर्यटन, पंचायतीराज, ग्रामीण निर्माण, जलागम, धर्मस्व एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता में गुरुवार को सीटी कंट्रोल सेंटर (सीसीआर) बिल्डिंग में अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए कहा कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मानसून अवधि में वर्षा एवं बाढ़ की स्थिति के दृष्टिगत प्रत्येक जनपद के नोडल खण्ड में 15 जून 2024 तक बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना कर जाये। उन्होंने बताया कि राज्य में सिंचाई खण्ड, देहरादून परिसर में केन्द्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष स्थापित कर दिया गया है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए की लक्सर में हडवा नाला और कनखल के लाटोवाली में जल भराव से लोगों के घरों में पानी घुसने से बड़ा नुक्सान होता है। इसलिए समय से इनकी सफाई करना सुनिश्चित किया जाए। बैठक के पश्चात पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने ऋषिकुल मैदान में स्थित चारधाम यात्रियों के लिए रजिस्ट्रेशन ट्रांजिट कैंप का भी औचक निरिक्षण किया और पर्यटन सचिव को निर्देश दिए कि यात्रियों की लाइन को कम करने के लिए एक परिवार के सभी सदस्यों का पंजीकरण लाइन में खड़ा होना व्यवहारिक नहीं है इसलिए परिवार का कोई भी एक सदस्य लाइन में लग कर सभी सदस्यों का पंजीकरण करवा सके इस तरह की व्यवस्था की जाये।
जनपद के प्रभारी मंत्री श्री महाराज ने बैठक के पश्चात कहा कि मानसून सीज़न को देखते हुए राज्य के 13 जनपदों में कुल 113 बाढ चौकियां 15 जून से पूर्व स्थापित कर ली जाएंगी। उन्होंने कहा कि बाढ़ चौकियों के माध्यम से ग्रामीणों को चेतावनी पहुँचाने की व्यवस्था की गयी है। इसके अतिरिक्त सम्बन्धित कर्मचारियों के पास ग्राम प्रधानों एवं जनप्रतिनिधियों के मो०नं० से आपदा की स्थिति में तत्काल सूचना की व्यवस्था की गई है। सिंचाई विभाग के नियंत्रणाधीन जलाशयों के बन्धो पर लगातार निगरानी के निर्देश दिए गए हैं। मानसून में बाढ़ तथा जल भराव की दृष्टि से प्रदेश के 13 जनपदों में 228 संवेदनशील स्थलों का चिन्हीकरण किया गया है। विभाग द्वारा मैदानी जनपदों हेतु विभिन्न शहरों के लिये मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार किया जा रहा हैं, जिसके निर्माण के पश्चात् जल भराव की समस्या का समाधान होगा।
बैठक के पश्चात उन्होंने बताया भगवानपुर इन्डस्ट्रीयल एरिया कार्य की डी०पी०आर लागत रु0 35.65 करोड़ के सापेक्ष निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया है।
भगवानपुर शहर के ड्रेनेज कार्य की डी०पी०आर लागत रु0 34.28 करोड़ के सापेक्ष निर्माण कार्य प्रगति पर है। हल्द्वानी शहर- मास्टर ड्रेनेज प्लान डी०पी०आर लागत रु० 957.00 करोड़ की गठित की गई है। जनपद चम्पावत के टनकपुर शहर हेतु लागत रु0 85.80 करोड एवं बनबसा हेतु लागत रु0 45.60 करोड की डी०पी०आर गठित कर शासन को प्रेषित की गई है। हरिद्वार शहर के मास्टर ड्रेनेज प्लान हेतु 03 फेस में कुल 835.04 करोड की डी०पी०आर० का गठन किया गया है। रूडकी शहर हेतु मास्टर ड्रेनेज प्लान की डी०आ०आर० लागत रु0 67.21 करोड का गठन कर लिया गया है जबकि ऋषिकेश शहर के मास्टर ड्रेनेज प्लान के अन्तर्गत मुनि की रेती (टिहरी) क्षेत्र में ड्रेनेज निर्माण कार्य प्रगति पर है। इसी प्रकार जनपद देहरादून क्षेत्र के मास्टर ड्रेनेज प्लान की डी०पी०आर० गठन का कार्य लगभग 80 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है। जनपद पौड़ी के स्वर्गाश्रम क्षेत्र की डी०पी०आर० लागत रु0 45.51 करोड गठित कर शासन को प्रेषित की गई है।
सिंचाई मंत्री श्री महाराज ने मानसून सीजन में जलाशयों में उपलब्ध जल को नहरों में पूर्ण क्षमता से चलाकर कृषकों को उपलब्ध कराने के साथ साथ नहरों के माध्यम से उपलब्ध जल को सिंचाई हेतु दिये जाने के लिये सम्बन्धित खण्डों को यथा आवश्यक नहरों की सफाई हेतु भी निर्देशित किया गया है।
बैठक में सिंचाई सचिव राजेश कुमार, जिलाधिकारी धीरज गबर्याल, एमएनए वरुण चौधरी, सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता जयपाल सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष संदीप गोयल, जिला महामंत्री आशुतोष शर्मा, जयपाल सिंह चौहान, आशु चौधरी सहित अनेक विभागीय अधिकारी मौजूद थे।